Navratri 5th day: स्कंदमाता को लगाएं केले से बने मालपुआ का भोग,

शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि स्कंदमाता को समर्पित होता है। इस दिन विधि विधान से मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में स्कंदमाता की महिमा का वर्णन है। मां पार्वती यानी स्कंदमाता की महिमा अपरंपार है। धार्मिक मत है कि जो भक्त सच्चे दिल से माता पार्वती की पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही बिगड़े काम भी बन जाते हैं। इसके अलावा, घर में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है। अगर आप भी स्कंदमाता की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन इस विधि से स्कंदमाता की पूजा करें। आइए, शुभ मुहूर्त, मां का स्वरूप और पूजा विधि जानते हैं

शुभ मुहूर्त

नवरात्र की पंचमी तिथि 20 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 31 मिनट तक है। इस दिन शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में ममतामयी स्कंदमाता की पूजा करने से साधक को कई गुना फल प्राप्त होता है।

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मां का स्वरूप

शिव पुराण में स्कंदमाता की महिमा का वर्णन है। स्कंदमाता के मुख मंडल पर कांतिमय आभा झलकती है। इससे समस्त जगत में प्रकाश फैलता है। मां पार्वती चार भुजा धारी हैं। स्कंदमाता का एक हाथ वरमुद्रा में है। इससे समस्त जगत का कल्याण होता है। मां पार्वती कमल पर विराजमान है। इसके लिए उन्हें पद्मासना कहकर संबोधित किया गया है। मां की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

 

पूजा विधि

शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि  में उठकर सबसे पहले स्कंदमाता को प्रणाम और ध्यान करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें और व्रत संकल्प लें। मां पार्वती को श्वेत रंग अति प्रिय है। अतः श्वेत रंग के वस्त्र धारण करें। अब पूजा गृह में चौकी पर नवीन लाल वस्त्र बिछाकर मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। गंगाजल से स्थान को शुद्ध करें। अब निम्न मंत्रों से मां का आह्वान करें।

1. सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया |

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

2. या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

तदोउपरांत, पंचोपचार कर स्कन्दमाता की पूजा लाल रंग के फल, फूल, धूप, दीप, तिल, जौ, कुमकुम, चंदन, हल्दी, अक्षत समेत अन्य पूजन सामग्री से करें। पूजा के समय पार्वती चालीसा का पाठ और मंत्र जाप अवश्य करें। मां को सफेद रंग की मिठाई या खीर भोग में अर्पित करें। आप मां को फल में सेब, केला, नारंगी आदि चीजें भी अर्पित कर सकते हैं। अंत में आरती कर आय और सौभाग्य में वृद्धि हेतु कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें।

 

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