मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? यह अब तक साफ नहीं है। 18 सालों से गद्दी पर विराजमान शिवराज सिंह चौहान भी कह चुके हैं कि इस पर फैसला पार्टी लेगी। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने इसे लेकर अब तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। बहरहाल, 3 दिसंबर को एमपी के सियासी भविष्य का फैसला होगा, लेकिन इसी बीच एक किताब में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चौहान को सालों पहले दिल्ली का न्योता भी दे चुके हैं।
क्या था मामला
वरिष्ठ पत्रकार और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी अपनी किताब ‘राजनीतिनामा मध्यप्रदेश (2003-2018) भाजपा युग’ में लिखते हैं, ‘अक्टूबर 2014 में इंदौर में शिवराज सिंह ने नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एक प्रभावशाली इन्वेस्टर समिट आयोजित किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की पहली मध्य प्रदेश यात्रा थी।’
आगे लिखा गया, ‘इस सम्मेलन में टाटा, अंबानी, रुईया, गोदरेज, अडानी और बियाणी जैसे देश के शीर्ष उद्योगपति आए। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मध्य प्रदेश में यह बड़ा महत्वकांक्षी आयोजन था। इसके माध्यम से शिवराज सिंह ने राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति दर्ज कराई।’ किताब के मुताबिक, सम्मेलन के बाद मोदी एक तरह से शिवराज से बहुत खुश थे।
दिल्ली बुलाया
तिवारी लिखते हैं, ‘संघ भी उन दिनों बहुत प्रसन्न चल रहा था, क्योंकि उसकी 1925 में की गई कल्पना पहली बार साकार हुई थी। केंद्र सरकार में आरएसएस, भारतीय जनता पार्टी के सर्वश्रेष्ठ चेहरे देखना चाहती थी। मोदी भी राज्यों से मुख्यमंत्रियों को बुलाकार अपने मंत्रिमंडल को इतिहास का सबसे ताकतवर मंत्रिमंडल बनाना चाहते थे।’
उन्होंने लिखा, ‘इंदौर सम्मेलन के तत्काल बाद नरेंद्र मोदी ने शिवराज सिंह को दिल्ली बुलाया और केंद्र में कृषि मंत्री के रूप में काम करने पर उनकी राय पूछी। दिल्ली में तो शिवराज सिंह ने कुछ नहीं कहा, लेकिन भोपाल लौटकर अपने मंत्रियों से बयान दिलाना चालू कर दिए कि अगला चुनाव मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह के ही नेतृत्व में लड़ा जाना चाहिए।’
नाराज हो गए थे अमित शाह?
किताब के मुताबिक, ‘यह बात जैसे ही मीडिया में छपना शुरू हुई, मोदी ने अपना रुख शिवराज के प्रति बदल लिया। उसके बाद मोदी ही नहीं पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह का रुख भी शिवराज सिंह के प्रति तल्खी भरा हो गया।’