समाचार डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भारी हंगामे के बीच इस विधेयक को पेश किया। कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने विधेयक का जमकर विरोध किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनको जवाब भी दिया।
अमित शाह ने कहा कि विधेयक पर बनी जेपीसी कमेटी के सुझाव को कैबिनेट ने मंजूर किया है। ऐसे में प्वाइंट ऑफ ऑर्डर का मतलब नहीं है। अगर अगर ये कैबिनेट के अप्रूवल के बगैर आता तो प्वाइंट ऑफ ऑर्डर कर सकते थे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ये कांग्रेस के जमाने जैसी कमेटी नहीं है। हमारी कमेटियां दिमाग चलाती हैं।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी दलों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिल में पहले भी संशोधन की कोशिश हुई, 2013 में वक्फ बोर्ड के नियमों में बदलाव हुआ, एक कानून दूसरे कानून से ऊपर नहीं हो सकता।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि मुझे न केवल उम्मीद है, बल्कि मुझे पूरा यकीन है कि इस विधेयक का विरोध करने वालों के दिलों में भी बदलाव आएगा। हर कोई सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ इस विधेयक का समर्थन करेगा।
किरेन रिजिजू ने बताया कि वक्फ बिल का नाम ‘उम्मीद’ (UMEED) हो गया है। उन्होंने कहा कि इस संशोधित बिल से न केवल नया सवेरा आने वाला है। साथ ही करोड़ों मुसलमानों को इसका फायदा भी होगा।
WAQF Board Bill पर बोले केंद्रीय मंत्री
आजादी के बाद 1954 में वक्फ़ एक्ट पहली बार बना, फिर कई संशोधनों के बाद 1995 में वक्फ एक्ट बना, उस वक्त किसी ने नहीं कहा कि ये गैरसंवैधानिक है, आज जब हम उसी बिल को सुधारकर ला रहे हैं तो आप कह रहे हैं कि यह गैरसंवैधानिक है। अगर आपका मन सच्चा होता तो आप तर्क करते बिल पर चर्चा करते, आप सबकुछ छोड़कर जिसका लेना-देना नहीं है, उसका जिक्र कर आप लोगों को बरगला रहे हैं।
वक्फ ने संसद पर भी दावा किया था: रिजिजू
केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में हंगामे के बीच कहा कि जिस संसद में हम बैठे हैं, उस जगह पर भी वक्फ ने दावा कर दिया था। मोदी सरकार नहीं होती तो ये वक्फ की संपत्ति होती।
कांग्रेस का हंगामा
कांग्रेस ने इस दौरान जमकर हंगामा किया। गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर पलटवार किया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए जवाब दिया।
सरकार जहां विधेयक को मुस्लिमों के हित में एक सुधारात्मक कदम बता रही तो वहीं विपक्ष पुरजोर विरोध में उतरा है। विपक्षी दलों का कहना है कि विधेयक संविधान का उल्लघंन है और धार्मिक आजादी के खिलाफ है।