भारतीय संसद के उच्च सदन, राज्यसभा, ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को पारित किया। इस विधेयक के पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि 95 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। यह विधेयक वक्फ अधिनियम, 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन करता है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाना है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु
नाम परिवर्तन: विधेयक के तहत, वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘यूनाइटेड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1995’ (UWMEED अधिनियम 1995) किया गया है।
लैंगिक समानता: संशोधन में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी का प्रावधान किया गया है, जिससे महिलाओं की सहभागिता और अधिकारों को बढ़ावा मिलेगा।
सांप्रदायिक समावेशिता: राज्य वक्फ बोर्डों में विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता रखी गई है, जिससे सभी समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
केंद्र सरकार की भूमिका: विधेयक केंद्र सरकार को वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, ऑडिटिंग और खातों के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
अपील प्रक्रिया: वक्फ न्यायाधिकरणों के निर्णयों के खिलाफ उच्च न्यायालय में 90 दिनों के भीतर अपील करने का प्रावधान किया गया है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में सुधार होगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
विधेयक के पारित होने पर विभिन्न राजनीतिक दलों और समुदायों से मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ नेताओं ने इसे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम बताया है, जबकि अन्य ने चिंता जताई है कि इससे सरकारी हस्तक्षेप बढ़ सकता है और समुदाय की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है।
आगे की राह
अब यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। यदि इसे मंजूरी मिलती है, तो यह कानून बन जाएगा और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में प्रस्तावित बदलाव लागू होंगे। समाज के विभिन्न वर्गों की नजर इस पर बनी हुई है कि ये संशोधन जमीनी स्तर पर कैसे लागू होंगे और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में क्या सुधार लाएंगे।