दिल्ली में प्रदूषण से निजात पाने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार कृत्रिम बारिश पर विचार कर रही है। आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर इस विकल्प को आजमाने का प्लान बनाया गया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को चीफ सेक्रेट्री नरेश कुमार को खत लिखा और दिल्ली में कृत्रिम बारिश को लेकर आईआईटी कानपुर के साथ समन्वय बनाने को कहा। पर्यावरण मंत्री ने इस खत में कृत्रिम बारिश पर होने वाले खर्च का भी जिक्र किया है।
राय ने खत में कहा, ‘आईआईटी कानुपर के प्रजेंटेशन (बुधवार को सरकार के सामने दिया गया) के मुताबिक पहले प्रयोग में 20 या 21 नवंबर को 300 स्क्वॉयर किलोमीटर में बारिश कराई जा सकती है, जब मौसम की परिस्थिति इसके अनुकूल होगी। दूसरे प्रयोग में इसे 1 हजार स्क्वॉयर किलोमीटर तक ले जाया जा सकता है। आईआईटी का कहना है कि एक स्क्वॉयर किलोमीटर पर 1 लाख रुपए की लागत आएगी। इसका मतलब है कि पहले फेज में 3 करोड़ रुपए और दूसरे फेज में 10 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।’ दिल्ली का आकार 1,483 स्क्वॉयर किलोमीटर का है।
आईआईटी कानपुर ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिनिधिमंडल के साथ बुधवार को दिल्ली सरकार और एलजी से संपर्क किया और दिल्ली में पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर कृत्रिम बारिश का प्रस्ताव रखा। हालांकि, एलजी या दिल्ली सरकार को गुरुवार शाम तक आईआईटी की तरफ से आधिकारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। राय ने खत में लिखा, ‘8 नवंबर को हुई बैठक में इस बात पर सहमति बबनी कि करीब 300 वर्ग किलोमीटर में पायलट प्रॉजेक्ट के तहत क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है।’ उन्होंने कहा कि 21 नवंबर के बाद अधिक प्रदूषण की स्थिति में 1 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बारिश कराई जा सकती है।
एचटी ने लेटर की कॉपी देखी है, जिसमें यह भी कहा गया है कि आईआईटी कानपुर ने पहले सात बार क्लाउड सीडिंग की है और 6 मौकों पर बारिश कराने में कामयाबी मिली। क्लाउड सीडिंग एक आधुनिक तकनीक है जिसके तहत सिल्वर आयोडाइड (एजीआई) का छिड़काव वायुमंडल में किया जाता है, जिससे नमी लिए बादल बारिश करने को मजबूर हो जाते हैं। भारत से बाहर इस तरह का प्रयोग प्रमुख तौर पर चीन में हुआ है, जहां अलग-अलग शहरों में उनका अलग प्लान है। चीन में सेना की मदद से ऐसा किया जाता है। फ्रांस में भी 20 अलग विभागों के सहयोग से कृत्रिम बारिश कराई जा चुकी है।
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि एक निश्चित मात्रा में क्लाउड सीडिंग से बारिश कराई जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘मैं दिल्ली में इसकी संभावना और वायु प्रदूषण पर प्रभाव को लेकर नहीं बोल सकता, लेकिन 2018 और 2019 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रोपिकल मेट्रोलॉजी की ओर से सोलापुर में सफलतापूर्वक बारिश कराई जा चुकी है।’ आईआईटी कानपुर में कृत्रिम बारिश प्रॉजेक्ट के प्रमुख मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि यदि पायलट प्रॉजेक्ट दिल्ली में होता है तो वे अपना एयरक्राफ्ट इस्तेमाल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए विशेष तौर पर एयरक्राफ्ट तैयार किया गया है।
अग्रवाल ने उनकी टीम का अनुभव बताते हुए कहा, ‘क्लाउड सीडिंग पर 2018 में प्रयोग किया गया था। हमने इस मॉनसून सीजन में फी विमान उड़ाया था। इस बार प्लेन में किए गए बदलाव को परखा गया था ताकि हमें डीजीसीए की मंजूरी मिल सके और बाद में प्राप्त कर लिया गया।’