झारखंड की राजधानी रांची से करीब 70 किमी दूर घने वन क्षेत्र वाले तमाड़ में स्थित 16 भुजाओं वाली मां काली की महिमा अपरंपार है. मान्यताओं के अनुसार, जो भी इस मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर आता है, मां देवड़ी उसकी हर मनोकामना पूरी कर देती हैं. इंडियन किक्रेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की मुराद भी मां देवड़ी के दरबार में पूरी हुई थी. धोनी आज भी जब झारखंड आते हैं तो इस मंदिर में हजारी लगाना नहीं भूलते हैं. धोनी के अलावा बॉलीवुड के कई अभिनेता, कई राज्यों के नेताओं के साथ-साथ देश के कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस मंदिर में शीश नवा कर अपनी मनोकामना पूरी की है.
वैसे तो 16 भुजाओं वाली मां देवड़ी मंदिर के निर्माण को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. बताया जाता है कि मां देवड़ी के इस मंदिर में स्थापित मां काली की मूर्ति ओडिशा की मूर्ति कला पर आधारित है. एक कथा के अनुसार, माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना पूर्व मध्यकाल में तकरीबन 1300 ईस्वी में सिंह भूम के मुंडा राजा केरा ने युद्ध में परास्त होकर लौटते समय की थी. पौराणिक कथाओं में यह भी बताया गया है कि इस मंदिर की स्थापना करते ही राजा केरा को उनका खोया हुआ राज्य सिंहासन वापस प्राप्त हो गया था, तभी से 16 भुजाओं वाली मां काली की पूजा प्रारंभ हो गई.
किसी ने नहीं देखा कैसे हुआ मंदिर का निर्माण
मंदिर को निर्माण को लेकर भी कई कहानियां हैं, लेकिन दो कहानियां प्रमुख हैं. पहली कथा में इस मंदिर का संस्थापक आदिवासी राजा केरा को बताया गया है. वहीं दूसरी कहानी ओडिशा से जुड़ी है. माना जाता है कि ओडिशा के चमरू पंडा यहां साल में दो बार राजा के पास आते थे और तभी यहां पर पूजा-पाठ भी कराया करते थे. तब राजा ने पंडों से यहीं बसने को कहा. राजा के निवेदन पर पंडे यहीं पर बस गए.